Monday, June 11, 2012

मकैनिक से ज्ञान की प्राप्ति -- मर्द की कमाई

मकैनिक से ज्ञान की प्राप्ति

( मर्द की सच्ची कमाई )


यह भारत है यहाँ रिक्शा वाले, पान बीड़ी वाले से लेकर सड़क पर चलते हुए राहगीर तक सब के सब एक से बढ़कर एक ज्ञानी हैं। पश्चिमी सभ्यता के विपरीत यहाँ पर लोक परलोक, अध्यात्म क्या होता है पूछिये किसी से भी सबको पता होता है।

  मेरे एक सम्बन्धी की मोटर साईकिल खराब हुई तो वे एक मकैनिक के पास गए जिसके पास वे अपनी मोटर साईकिल सर्विस और मरम्मत करवाने जाया करते थे।  मोटर साईकिल थी की बार बार खराब हुए जा रही थी. कभी टायर पंचर , कभी किक स्टार्ट में दिक्कत तो कभी सेल्फ स्टार्ट की दिक्कत, कभी बैटरी में खराबी।  वैसे तो वे बड़े ही सज्जन पुरुष हैं परन्तु रोज रोज की मोटर साईकिल की मरम्मत से परेशान होकर एक दिन उन्होंने खीझकर मकैनिक के सामने अपना रोष प्रकट कर ही दिया।  वे उस मकैनिक को बोले की इस रोज रोज की मरम्मत से मैं परेशान हो गया हूँ , मंहगाई इतनी है।  सारी कमाई बेकार में ही खर्च हो जाती है, बंट जाती है यहाँ वहां. परेशान हो गया हूँ इन सब झंजट से।
      साहब का मिजाज देखकर मकैनिक ने साहब को समझाया -- अरे साहब क्यों परेशान होते हो, आपकी कमाई जो है वो मर्द की सच्ची कमाई है. और मर्द की सच्ची कमाई में सब का हिस्सा होता है, सब्जी वाले का, दूध वाले का, मकैनिक का, बीवी का, बच्चो का और दुनिया भर का. अब आप बताएं आप क्यों परेशान हैं ? ये सब सुनकर तो उनका नजरिया ही बदल गया. सज्जन तो वे थे ही और अब उन्हें एक संतुष्टि का एहसास भी होने लगा था।  उन्हें समझ आ गया था मर्द की कमाई का अर्थ।
 

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